मुक्तक
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मुक्तक
तू चाहे तो पतझड़ में भी , बहार आ जाए
तू चाहे तो बीच लहरों में , पतवार हाथ आ जाए |
तू चाहे तो खिल उठे , बंजर उपवन भी
तू चाहे तो कुंठा में भी , जीवन गुलज़ार हो जाए ||
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
मुक्तक
तू चाहे तो पतझड़ में भी , बहार आ जाए
तू चाहे तो बीच लहरों में , पतवार हाथ आ जाए |
तू चाहे तो खिल उठे , बंजर उपवन भी
तू चाहे तो कुंठा में भी , जीवन गुलज़ार हो जाए ||
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”