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29 May 2024 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

तू चाहे तो पतझड़ में भी , बहार आ जाए
तू चाहे तो बीच लहरों में , पतवार हाथ आ जाए |
तू चाहे तो खिल उठे , बंजर उपवन भी
तू चाहे तो कुंठा में भी , जीवन गुलज़ार हो जाए ||

अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

1 Like · 131 Views
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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