Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2024 · 1 min read

* मुक्तक *

* मुक्तक *
हो गयी है अनकही बातें पुरानी देखिए।
किंतु थम जाती नहीं उनकी रवानी देखिए।
याद आ जाती कभी जब भी अचानक वो हमें।
बुन रही होती सहज नूतन कहानी देखिए।
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २१/०१/२०२४

1 Like · 1 Comment · 132 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all
You may also like:
शब्द
शब्द
Dr. Mahesh Kumawat
जब साँसों का देह से,
जब साँसों का देह से,
sushil sarna
मन की आंखें
मन की आंखें
Mahender Singh
जनाब पद का नहीं किरदार का गुरुर कीजिए,
जनाब पद का नहीं किरदार का गुरुर कीजिए,
शेखर सिंह
कल आज और कल
कल आज और कल
Omee Bhargava
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
अर्चना मुकेश मेहता
One thing is very important to do anything.. i.e. your healt
One thing is very important to do anything.. i.e. your healt
पूर्वार्थ
तुमसे रूठने का सवाल ही नहीं है ...
तुमसे रूठने का सवाल ही नहीं है ...
SURYA PRAKASH SHARMA
दीवार
दीवार
अखिलेश 'अखिल'
"लोग करते वही हैं"
Ajit Kumar "Karn"
लक्ष्मी-पूजन
लक्ष्मी-पूजन
कवि रमेशराज
बहुत खुश था
बहुत खुश था
VINOD CHAUHAN
2951.*पूर्णिका*
2951.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
स
*प्रणय*
अपने वही तराने
अपने वही तराने
Suryakant Dwivedi
Dr. Arun Kumar Shastri – Ek Abodh Balak – Arun Atript
Dr. Arun Kumar Shastri – Ek Abodh Balak – Arun Atript
DR ARUN KUMAR SHASTRI
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
Ravikesh Jha
सब तमाशा है ।
सब तमाशा है ।
Neelam Sharma
"कामयाबी"
Dr. Kishan tandon kranti
*अदरक (बाल कविता)*
*अदरक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
सुना है नींदे चुराते हैं ख्वाब में आकर।
सुना है नींदे चुराते हैं ख्वाब में आकर।
Phool gufran
ज्ञानों का महा संगम
ज्ञानों का महा संगम
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
एक कुण्डलियां छंद-
एक कुण्डलियां छंद-
Vijay kumar Pandey
आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जाने क्या छुटा रहा मुझसे
जाने क्या छुटा रहा मुझसे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
बुंदेली हास्य मुकरियां
बुंदेली हास्य मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आओ!
आओ!
गुमनाम 'बाबा'
दाढ़ी में तेरे तिनका है, ओ पहरे करने वाले,
दाढ़ी में तेरे तिनका है, ओ पहरे करने वाले,
ओसमणी साहू 'ओश'
शौक या मजबूरी
शौक या मजबूरी
संजय कुमार संजू
मैं फूलों पे लिखती हूँ,तारों पे लिखती हूँ
मैं फूलों पे लिखती हूँ,तारों पे लिखती हूँ
Shweta Soni
Loading...