मुक्तक
अपनों से ही छल गये हम
वक्त के साथ ढल गये हम
अब लोगों की शिकायत है
बहुत ज्यादा बदल गये हम ।
कुछ मिला तो नुमाइश न कीजिए
दोस्त की आजमाइश न कीजिए
सुकून भरी जिंदगी चाहिए गर
हद से ज्यादा ख्वाहिश न कीजिए ।
अपनों से ही छल गये हम
वक्त के साथ ढल गये हम
अब लोगों की शिकायत है
बहुत ज्यादा बदल गये हम ।
कुछ मिला तो नुमाइश न कीजिए
दोस्त की आजमाइश न कीजिए
सुकून भरी जिंदगी चाहिए गर
हद से ज्यादा ख्वाहिश न कीजिए ।