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25 Dec 2023 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
हे राजनीति के शिखर पुरुष,तुमको मेरा वंदन है।
गौरव गाथा तेरी गाकर ,देश कर रहा क्रंदन है।
बाट जोहती भारत माता,आ जाओ फिर से प्यारे,
हे अटल तुम्हारे जैसों का,हर युग में अभिनंदन है।।

तुम साहित्य पुरोधा थे ,शुचिता के संवाहक थे।
तुम महनीय प्रकल्पी थे,सद्गुण के अवगाहक थे।
शत्रु अजात अटल मेरा ,नमन तुम्हें हे राष्ट्र पुत्र,
वक्ता प्रखर ,मनीषी तुम, भावों के संग्राहक थे।।

भारी भरकम काया से ही,कोई सबल नहीं होता।
कर्महीन होकर सपनों से,कोई सफल नहीं होता।
वाणी का वैद्गध्य चाहिए,राज धर्म की निष्ठा भी,
बस नाम अटल रख लेने से,कोई अटल नहीं होता।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
173 Views

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