मुक्तक
“तुम्हारे शिकवों का अंत चाहता हूँ
कुछ पल के लिए एकांत चाहता हूँ
थक गया हूँ गहमा-गहमी से बहुत
अब जिंदगी बहुत शांत चाहता हूँ”
©दुष्यंत ‘बाबा’
“तुम्हारे शिकवों का अंत चाहता हूँ
कुछ पल के लिए एकांत चाहता हूँ
थक गया हूँ गहमा-गहमी से बहुत
अब जिंदगी बहुत शांत चाहता हूँ”
©दुष्यंत ‘बाबा’