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19 Oct 2023 · 1 min read

मुक्तक -*

मुक्तक -*
फैली कहीं चाँदनी शीतल ,और कहीं अँधियारा।
कहीं दीप की छटा निराली,कहीं घोर तम कारा।
कहीं मने त्यौहार खुशी से,कहीं भूख का तांडव,
वर्ग भेद की बात करें क्या,बँटा हुआ जग सारा।।
डाॅ. बिपिन पाण्डेय

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