** मुक्तक **
** मुक्तक **
छा रही खूब है लालिमा भोर की।
कालिमा मिट रही है सभी छोर की।
खिल उठा मन प्रफुल्लित हुआ हर्ष से।
मन लुभाती प्रकृति आज हर ओर की।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २४/०९/२०२३
** मुक्तक **
छा रही खूब है लालिमा भोर की।
कालिमा मिट रही है सभी छोर की।
खिल उठा मन प्रफुल्लित हुआ हर्ष से।
मन लुभाती प्रकृति आज हर ओर की।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २४/०९/२०२३