मुक्तक
मुक्तक
डर उनसे नही था जिनके स्वभाव आग थे
मुँह के बेशक कड़वे थे पर हितैषी भाव थे
उनके काटने पर हम लहर को तरस रहे हैं
जो लगते शहद से पर आस्तीन के सांप थे
©दुष्यन्त ‘बाबा’
मुक्तक
डर उनसे नही था जिनके स्वभाव आग थे
मुँह के बेशक कड़वे थे पर हितैषी भाव थे
उनके काटने पर हम लहर को तरस रहे हैं
जो लगते शहद से पर आस्तीन के सांप थे
©दुष्यन्त ‘बाबा’