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21 Aug 2023 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
मैं विषधर हूँ संज्ञा तो है! प्रकृति के अनुकूल सही।
हे मानव! तुझसे अच्छा हूँ,अपनों के प्रतिकूल नही।।
जो विषधर से घातक होते, करते हैं बदनाम वही।
बहुत विषैले होते वह, जिनके विषधर नाम नही।।
©दुष्यन्त ‘बाबा’

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