मुक्तक
मुक्तक
मैं विषधर हूँ संज्ञा तो है! प्रकृति के अनुकूल सही।
हे मानव! तुझसे अच्छा हूँ,अपनों के प्रतिकूल नही।।
जो विषधर से घातक होते, करते हैं बदनाम वही।
बहुत विषैले होते वह, जिनके विषधर नाम नही।।
©दुष्यन्त ‘बाबा’
मुक्तक
मैं विषधर हूँ संज्ञा तो है! प्रकृति के अनुकूल सही।
हे मानव! तुझसे अच्छा हूँ,अपनों के प्रतिकूल नही।।
जो विषधर से घातक होते, करते हैं बदनाम वही।
बहुत विषैले होते वह, जिनके विषधर नाम नही।।
©दुष्यन्त ‘बाबा’