मुक्तक
दीपक-सम जग ज्योतित करना,जलना सीखा है।
जीत भरोसा नहीं किसी को, छलना सीखा है।
कुछ तो गुण आएँगे उनके , है सच्चाई ये,
जिनकी उँगली का संबल ले, चलना सीखा है।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय
दीपक-सम जग ज्योतित करना,जलना सीखा है।
जीत भरोसा नहीं किसी को, छलना सीखा है।
कुछ तो गुण आएँगे उनके , है सच्चाई ये,
जिनकी उँगली का संबल ले, चलना सीखा है।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय