मुक्तक 2
50
सदा फ़र्ज़ अपना निबाहा है हमने
दिया तूने जो भी सराहा है हमने
पता है हमें तू बहुत बेवफा है
मगर ज़िन्दगी तुझको चाहा है हमने
49
खिला ही प्यार से रहता है इस तरह ये मन
बहार ले के चला आता जिस तरह सावन
न टूट सकता वो रिश्ता जुड़ा हो जो दिल से
सुमन-सुगन्ध के जैसा अटूट ये बंधन
48
फूल को खुशबू से उसकी, कर अलग सकते नहीं
स्वप्न आँखों के अलावा तो कहीं पलते नहीं
दर्द रहते हैं दिलों में अश्रु से अनुबंध कर
ये न हों तो कल्पना में गीत भी सजते नहीं
47
काँटों में भी गुलाब हँसते है
ये हुनर हम जनाब रखते हैं
अपने दिल को दबा दबा कर हम
आँसुओं पर नकाब करते हैं
27-11-2021
46
नैनों में तारों से झिलमिलाते हो तुम
तो कभी दीप से जगमगाते हो तुम
इस तरह बन गये हो मेरी ज़िन्दगी
भावों में गीत बन गुनगुनाते हो तुम
1-11-2021
45
मधुर हो जाते छोटी-मोटी सी तकरार से रिश्ते
हो जाते और भी प्यारे जरा मनुहार से रिश्ते
हमारी ज़िंदगी में ये बड़े अनमोल होते हैं
कहीं ये गुम न हो जायें सहेजो प्यार से रिश्ते
26-9-2021
44
अभियंता दिवस की हार्दिक बधाई 💐💐💐💐
जन जीवन आसान बनाया
नभ से धरती को मिलवाया
बड़े बड़े कामों को करके
अभियंताओं ने दिखलाया
15-09-२०२१
43
भिन्न भिन्न भाषाओं के ये, शब्दों को अपनाती है
मात समान दुलार करे संस्कारों को सिखलाती है
सीधी सादी भोली भाली भारत की बोली हिंदी
बैर भाव से दूर खड़ी बस प्यार बांटती जाती है
42
मेरे सारे गीत सहारे बन जाएंगे
मन के सच्चे मीत तुम्हारे बन जाएंगे
नहीं डूबने देंगे के गम के सागर में
जब होगे मझदार, किनारे बन जाएंगे
4।9।2021
41
2-9-2021
साँझ घिरेगी धीरे धीरे, भोर सदा कब रह पाएगी
हर बहार अपनी बगिया में , पतझड़ भी लेकर आएगी
जैसे फूलों को खिलने पर, मुरझाना भी तो पड़ता है
वैसे ही जीवन में आकर , मौत गले खुद लग जाएगी
40
18-08-2021
कब नदी रह सकी है बिना कूल के
कब है मंज़िल मिली राह को भूल के
हार बिन है नहीं जीत का मोल कुछ
फूल भी कब खिला है बिना शूल के
डॉ
17-08-2021
39
उड़ता रहता नील गगन में , एक परिंदे जैसा मन
कैद कफ़स में होकर भी तन,पकड़े आशा का दामन
विश्वास स्वयं पर है मुझको , द्वार प्रगति का खोलूंगी
उड़कर ऊँचे आसमान को ,कर लूँगी अपना आँगन
38
राहों में अवरोध मिले तो , उससे मत घबरा जाना
कहीं शूल तो कहीं मिलेगा,फूलों का भी नज़राना
हम तो यहाँ कर्मयोगी हैं, चलना काम हमारा बस
छोड़ यहीं सब जाना है जब,फिर क्या खोना क्या पाना
37
हाथों में बनी हुई रेखा
किस्मत का उसमें सब लेखा
दिखता है उसको वैसा ही
जिसने जिसको जैसा देखा
36
भारत माँ के वीर सपूतों , जग में मान बढ़ाया है
खून बहाकर तुमने अपना ,हम पर कर्ज़ चढ़ाया है
मान तिरंगे का रखने को ,हँसकर प्राण लुटा डाले
देश प्रेम का अद्भुत तुमने ,सब को पाठ पढ़ाया है
16-08-2021
35
मैं आँखों में स्वप्न सजाकर ,नई कहानी लिखती हूँ
नित्य हौसलों के पंखों से ,खूब उड़ाने भरती हूँ
13-08-2021
काट रही मैं नारी अपने , पाँवों की ज़जीरों को
सपनों को सच करने का मैं हुनर पास में रखती हूँ
34
होंठ सिलकर ज़िन्दगी को जिसको जीना आ गया
मुस्कुराकर इस जगत में दर्द पीना आ गया
पाठ भी इंसानियत का पढ़ लिया जिसने यहाँ
तो समझ लो उसको जीने का करीना आ गया
3-8-2021
33
मत विरह की बात करना ये सहा न जाएगा
बिन तुम्हारे एक पल हमसे रहा न जाएगा
मुस्कुराना तो पड़ेगा इस ज़माने के लिए
हाल दिल का पर किसी से भी कहा न जाएगा
32
बात दिल की जरा सुनाने दो
बोझ थोड़ा सा तो हटाने दो
रोकना अब नहीं उन्हें कोई
उनको जी भर के आजमाने दो
31
साथ तेरे बता रहूँ कैसे
सारे बंधन भी जोड़ दूँ कैसे
मेरी किस्मत में जब लिखा ही नहीं
तुझको रब से मैं छीन लूँ कैसे
11.5.2021
30
जबसे मुख हमसे तुमने मोड़ा है
हर तरह से ही हमको तोड़ा है
हाल अब हो गया हमारा ये
हमने विश्वास करना छोड़ा है
08-4-2021
29
किसी के इतने मत होना
पड़े फिर बाद में रोना
यहाँ पर नकली हैं आँसू
न उनमें डूब कर खोना
28
किया जो प्यार उसे फिर निभाना पड़ता है
क्यों बार बार तुम्हें ये बताना पड़ता है
जी जान से ही अगर कोई भी हमें चाहे
भरोसा टूटने से भी बचाना पड़ता है
27
तुम्हारी याद आकर जब कभी भी थपथपाती है
बदलती करवटें रहती नहीं फिर नींद आती है
बरसती रहती ये आँखें तड़पता रहता है ये दिल
लगे तन्हाइयों में मेरी आ बरसात जाती है
26
प्रताड़ित जो मुझे अबला समझ दिन रात करते हैं
वो ममता को मेरी कमजोरियां शायद समझते हैं
किया मजबूत अब दिल को कि मैं अब आज की नारी
तनिक भी हौसले मेरे डिगा अब वो न सकते हैं
25
नदी की धार के जैसे सतत निष्काम बहती हूँ
बंधी ममता के बंधन में खुशी से अपनी रहती हूँ
मैं नारी हूँ मेरा तो काम ही देखो सृजन करना
मगर होती दुखी जब उनसे ही अपमान सहती हूँ
24
फूल जैसे तुम अगर तो मैं भी खुशबू हूँ तुम्हारी
चाँद की है चाँदनी सँग,वैसी ही जोड़ी हमारी
साथ तो अपना ऐ साथी जन्मों जन्मों का हमारा
हो जुदा सकती नहीं हम, रुह की रुह से अपनी यारी
23
सुमन बन खुशबुएं अपनी लुटाना जानते हैं हम
मगर शूलों से भी यारी निभाना जानते हैं हम
हमारी चुप से मत कमजोर हमको तुम समझ लेना
कि सच क्या आइने को भी दिखाना जानते हैं हम
04-03-2021
22
सामान समेत सभी अपना घर लौटे हेमंत
धरती नभ दोनों पर छाए, जो ऋतुराज बसंत
मादक के फूलों की खुशबू, मन भी है मदहोश
वन, उपवन की शोभा देखो सजे हैं दिग-दिगन्त
21
है धरोहर हमारी धरा ये गगन
देश के प्रेम की दिल में सबके अगन
बिखरे रहते यहाँ पर विविध रंग हैं
सबसे अच्छा जगत में हमारा वतन
20
मंदिर मस्जिद में बांटे जो, मन के वो दरवाजे खोलो
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई, मजहब में मत खुद को तोलो
प्यार करो अपनी माटी से, छोड़ो राजनीति की बातें,
सबसे पहले भारतीय हम ,भारत माता की जय बोलो
19
तन का तनना,मन का मनना, होती आदत है
तन का तपना, मन का दुखना, करता आहत है
तन नश्वर है मन चंचल है ,इन पर जोर नहीं
तन स्वस्थ हो मन स्वच्छ तो, मिलती राहत है
18
नैन के दीप जलते रहते हैं
अश्क चुपचाप बहते रहते हैं
आती हर वक़्त हिचकियाँ रहतीं
वो हमें याद करते रहते हैं
17
फूल के सँग शूल की होती चुभन भी
देखता है रूप पतझड़ का चमन भी
सीखने होंगे हमें गुर ज़िन्दगी के
सुख अगर है तो यहाँ दुख के चलन भी
16
पक्षी व्याकुल प्यास से,मिला नहीं पर नीर
ये किससे जाकर कहें,अपने मन की पीर
जल संरक्षण का हमें, रखना होगा ध्यान
जल से ही संसार है, जल से ही ये जान
15
पूछ मत मैं जा रहा हूँ साथ क्या ले जाऊँगा
तेरी यादों का बड़ा सा काफिला ले जाऊँगा
सोचता दिन रात मैं भी तेरे बारे में यही
क्या करेगी तू तेरा जब दिल चुरा ले जाऊँगा
14
बिच्छू भी काटे अगर, बच जाती है जान
मगर नहीं उपचार है, काटे गर इंसान
मानवता का हो रहा, दिन प्रतिदिन यूँ ह्रास
मुश्किल दुश्मन मीत की,अब करनी पहचान
13
दीप जलें खुशियों के इतने, रात न कोई काली हो
गम की पड़े न परछाई भी, हर सूँ बस खुशहाली हो
घर में लक्ष्मी मात विराजें, और शारदा माँ मन में
जगमग जगमग हो ये जीवन, सबकी शुभ दीवाली हो
12
मापनी– 221 1222 221 1222
इस प्रेम कहानी का ,उद्गार तुम्हीं तो हो
जीवन की इमारत का ,आधार तुम्हीं तो हो
परछाई मेरी बनकर ,तुम साथ सदा रहना
है सत्य यही मेरा ,संसार तुम्हीं तो हो
11
आना है इसको आएगा, आने वाला कल
आकर फिर कल बन जायेगा, आने वाला कल भरी हुई सुख दुख से रहती, उसकी तो झोली
किसे पता पर क्या लाएगा , आने वाला कल
10
दिये जो ज़ख्म हैं तुमने हरे से रहते हैं
सदा जो अश्क़ नयन में भरे से रहते हैं
थमा है आज तलक सिलसिला नहीं इनका
तभी तो मिलने पे तुमसे डरे से रहते हैं
9
बस तेरे प्यार से दिल ये आबाद है
इसमें रहती सदा तेरी ही याद है
अब तो आ जाओ इतना सताओ नहीं
साथ तेरे मेरी ज़िंदगी शाद है
8
नफरत से कितने ही रिश्ते छूटे हैं
लेकिन हम तो अपनेपन से टूटे हैं
कोई भी हो वजह मगर इस दुनिया में
किस्मत पर ही सदा ठीकरे फूटे हैं
7
पसीने से ये अपनेअन्न धरती पर उगाता है
कृषक ही इस धरा पर हम सभी का अन्नदाता है
किसानों की बदौलत ही हमारा देश कृषि उन्नत
सियासत खेलना इन पर नहीं हमको सुहाता है
6
धुंध जीवन पे छाने लगी है
धुंधला सब दिखाने लगी है
उम्र भी हाथ अपने बढ़ाकर
ज़िन्दगी से मिलाने लगी है
5
दिन सूरज जैसा कनक, रजत चाँद सी रात
हो जीवन में आपके,प्यार भरी बरसात
पाँवों को धरती मिले, सपनों को आकाश
जीवन में मिलती रहे, खुशियों की सौगात
4
सर्दी के आतंक से, कांप रहे सब अंग
अकड़े ऐसे जा रहे, लगी हुई ज्यूँ जंग
कुहरे की भी पढ़ रही, बड़ी भयंकर मार
दिनकर भी नखरे दिखा,खूब कर रहे तंग
3
कहीं छोटा कहीं लंबा तमाशा ज़िन्दगी ये
डुबोती तारती लगती विपाशा ज़िन्दगी ये
यहाँ पर मोड़ सीधे टेढ़े मेढ़े हर तरह के
दिखाती है निराशा में भी आशा ज़िन्दगी ये
2
21-12-2020
पलते पलते वृद्ध हो गये दिल के सपने
दरवाजे थे बन्द लगी दीमक सी लगने
चला मुसलसल वक़्त कहीं भी रुका ही नहीं
हुये अकेले दूर हो गये जो थे अपने
1
हम कहें कुछ तो लगे तुमको बहाना
हमको आता ही नहीं बातें बनाना
जीतना हम चाहते तुमसे नहीं हैं
इसलिये आता नहीं हमको हराना