#मुक्तक-
#मुक्तक-
■ एक एहसास…
【प्रणय प्रभात】
ख़िजां है अब न अड़ना चाहता है,
हवाओं से न लड़ना चाहता है।।
उसे दस्तूर क़ुदरत का पता है,
वो पत्ता ख़ुद ही झड़ना चाहता है।।
#मुक्तक-
■ एक एहसास…
【प्रणय प्रभात】
ख़िजां है अब न अड़ना चाहता है,
हवाओं से न लड़ना चाहता है।।
उसे दस्तूर क़ुदरत का पता है,
वो पत्ता ख़ुद ही झड़ना चाहता है।।