मुक्तक
मृत्यु का हम बीज बोते जा रहे है।
हर घड़ी खुद को डुबोते जा रहे है।
ह्रदय सूखे ,नहीं है सम्मान बाकी ।
स्वयं का अस्तित्व खोते जा रहे है।।
मृत्यु का हम बीज बोते जा रहे है।
हर घड़ी खुद को डुबोते जा रहे है।
ह्रदय सूखे ,नहीं है सम्मान बाकी ।
स्वयं का अस्तित्व खोते जा रहे है।।