मुक्तक
रोज सुवह उठते ही भीग भीग जाते नैन ,,
देखते ही सुर्खियाँ किसी भी अख़बार की ,,
घायल है गीता और तुलसी की रामायण
कैसी दशा हो गयी हमारे हिंदुस्तान की ,,,।।
रोज सुवह उठते ही भीग भीग जाते नैन ,,
देखते ही सुर्खियाँ किसी भी अख़बार की ,,
घायल है गीता और तुलसी की रामायण
कैसी दशा हो गयी हमारे हिंदुस्तान की ,,,।।