मुक्तक
शैल विषमताओं का है तो
कहीं प्रेम का झरना होगा।
अपने पथ के शूल हटाकर
सफ़र तुम्हें तय करना होगा।
मिलन उबासी से जो भर दें ,
डरना है उन सम्बन्धों से
कपट -द्वेष- षड्यंत्र जहाॅं पर,
सखे! वहाँ न ठहरना होगा।
रश्मि लहर
शैल विषमताओं का है तो
कहीं प्रेम का झरना होगा।
अपने पथ के शूल हटाकर
सफ़र तुम्हें तय करना होगा।
मिलन उबासी से जो भर दें ,
डरना है उन सम्बन्धों से
कपट -द्वेष- षड्यंत्र जहाॅं पर,
सखे! वहाँ न ठहरना होगा।
रश्मि लहर