मुक्तक
मुक्तक
‘कृति’ में भाव पिरोने हैं तो ,चिंतन का विस्तार करो।
कवि वैशिष्ट्य लेखनी शुचिता,मत इसका व्यापार करो।
अर्थ गहन शब्दों के होते,भाव – प्रवाह बदल जाता,
सोच-समझकर ही जीवन में,सब इनका व्यवहार करो।।
डाॅ.बिपिन पाण्डेय