मुक्तक
मुक्तक
अंदर का शैतान किसी को ,बुद्ध नहीं होने देता।
क्रूर नृशंस पातकी रखता ,शुद्ध नहीं होने देता।
अगर विधर्मी समझे होते,प्रेम धर्म की भाषा को,
जगत नियंता वंशी वाला ,युद्ध नहीं होने देता।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय
मुक्तक
अंदर का शैतान किसी को ,बुद्ध नहीं होने देता।
क्रूर नृशंस पातकी रखता ,शुद्ध नहीं होने देता।
अगर विधर्मी समझे होते,प्रेम धर्म की भाषा को,
जगत नियंता वंशी वाला ,युद्ध नहीं होने देता।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय