मुक्तक
अपना करे पराया चाहे,अनय विरोध जरूरी है।
अनाचार, हिंसा के पथ से,उचित सदा ही दूरी है।
भाव-विचारों का उद्वेलन ,तोड़े भाषिक मर्यादा,
शब्दों पर अंकुश रखने की,कोशिश करनी पूरी है।।
अपना करे पराया चाहे,अनय विरोध जरूरी है।
अनाचार, हिंसा के पथ से,उचित सदा ही दूरी है।
भाव-विचारों का उद्वेलन ,तोड़े भाषिक मर्यादा,
शब्दों पर अंकुश रखने की,कोशिश करनी पूरी है।।