मुक्तक
बीते समय से अब, बात कहा होती हैं
सार्थक हो कर्म तो तक़दीर कहा सोती हैं
क़िस्मत कहा कि बीते लम्हों में खो जाएं
खुश क़िस्मत कहा कि उन बांहों में सो पाएं
बीते समय से अब, बात कहा होती हैं
सार्थक हो कर्म तो तक़दीर कहा सोती हैं
क़िस्मत कहा कि बीते लम्हों में खो जाएं
खुश क़िस्मत कहा कि उन बांहों में सो पाएं