मुक्तक
करके बंद आँखों को ,जब भी मुझको देखोगे ,
अलस्सुबह देखा हुआ वही सपना सा लगूँगी।
महसूस कर सको मुझे गर दिल से दिलवर ,
लबालब प्यार का बहता हुआ झरना सा लगूँगी।
पाखी
करके बंद आँखों को ,जब भी मुझको देखोगे ,
अलस्सुबह देखा हुआ वही सपना सा लगूँगी।
महसूस कर सको मुझे गर दिल से दिलवर ,
लबालब प्यार का बहता हुआ झरना सा लगूँगी।
पाखी