Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Oct 2022 · 1 min read

मुक्तक

बे मौत में मर जाऊं तो , इतना कबूल कर
आ जाना सनम ख्वाब में हर बात भूलकर
तोहफे तो देना प्यार से धोखे ना देना तुम
तम्मन्ना यही है आरजू इतना कबूल कर

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 226 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुछ तो बाकी है !
कुछ तो बाकी है !
Akash Yadav
पूछो हर किसी सेआजकल  जिंदगी का सफर
पूछो हर किसी सेआजकल जिंदगी का सफर
पूर्वार्थ
आया बसन्त आनन्द भरा
आया बसन्त आनन्द भरा
Surya Barman
जिन्दगी शम्मा सी रोशन हो खुदाया मेरे
जिन्दगी शम्मा सी रोशन हो खुदाया मेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फूल तो फूल होते हैं
फूल तो फूल होते हैं
Neeraj Agarwal
कुंडलिनी छंद
कुंडलिनी छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ब्यूटी विद ब्रेन
ब्यूटी विद ब्रेन
Shekhar Chandra Mitra
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – आविर्भाव का समय – 02
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – आविर्भाव का समय – 02
Kirti Aphale
नज़र को नज़रिए की तलाश होती है,
नज़र को नज़रिए की तलाश होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कितना भी आवश्यक या जरूरी काम हो
कितना भी आवश्यक या जरूरी काम हो
शेखर सिंह
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
Rituraj shivem verma
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
करगिल के वीर
करगिल के वीर
Shaily
तुम मेरी
तुम मेरी
Dr fauzia Naseem shad
बातें नहीं, काम बड़े करिए, क्योंकि लोग सुनते कम और देखते ज्य
बातें नहीं, काम बड़े करिए, क्योंकि लोग सुनते कम और देखते ज्य
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ऐसे न देख पगली प्यार हो जायेगा ..
ऐसे न देख पगली प्यार हो जायेगा ..
Yash mehra
*आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश
*आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश
Ravi Prakash
मैं उन लोगों से उम्मीद भी नहीं रखता हूं जो केवल मतलब के लिए
मैं उन लोगों से उम्मीद भी नहीं रखता हूं जो केवल मतलब के लिए
Ranjeet kumar patre
कितनी प्यारी प्रकृति
कितनी प्यारी प्रकृति
जगदीश लववंशी
करती गहरे वार
करती गहरे वार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
पिता
पिता
लक्ष्मी सिंह
मैं तो महज शराब हूँ
मैं तो महज शराब हूँ
VINOD CHAUHAN
दुनिया की हर वोली भाषा को मेरा नमस्कार 🙏🎉
दुनिया की हर वोली भाषा को मेरा नमस्कार 🙏🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
" लो आ गया फिर से बसंत "
Chunnu Lal Gupta
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
चित्रकार उठी चिंकारा बनी किस के मन की आवाज बनी
प्रेमदास वसु सुरेखा
मुद्दा
मुद्दा
Paras Mishra
आंगन आंगन पीर है, आंखन आंखन नीर।
आंगन आंगन पीर है, आंखन आंखन नीर।
Suryakant Dwivedi
"आया मित्र करौंदा.."
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जीवन में प्राथमिकताओं का तय किया जाना बेहद ज़रूरी है,अन्यथा
जीवन में प्राथमिकताओं का तय किया जाना बेहद ज़रूरी है,अन्यथा
Shweta Soni
#कालचक्र
#कालचक्र
*प्रणय प्रभात*
Loading...