मुक्तक
“जिन्द़गी की ठोकरों ने सबक सिखा दिया
जाने क्यों वक्त से पहले ही बडा़ बना दिया
थामना था जब क़लम इन मासूम हाथों को
तब जिम्मेदारियों का एक थैला थमा दिया”
-“अभिधा”
“जिन्द़गी की ठोकरों ने सबक सिखा दिया
जाने क्यों वक्त से पहले ही बडा़ बना दिया
थामना था जब क़लम इन मासूम हाथों को
तब जिम्मेदारियों का एक थैला थमा दिया”
-“अभिधा”