मुक्तक
किताबों में रखे गुल का, न कोई दाम होता है।
दिलों में घर बना ले जो,उसी का नाम होता है।।
वफादारी निभाता है,पतंगा आग में जलकर ।
किसी से प्रेम पाने का, यही ईनाम होता है।।
जगदीश शर्मा सहज
किताबों में रखे गुल का, न कोई दाम होता है।
दिलों में घर बना ले जो,उसी का नाम होता है।।
वफादारी निभाता है,पतंगा आग में जलकर ।
किसी से प्रेम पाने का, यही ईनाम होता है।।
जगदीश शर्मा सहज