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26 Feb 2022 · 1 min read

मुक्तक

रिक्त गगरिया
प्रेमिल पुष्प खिले हर उपवन,बगिया सारी सरस गयी है।
इस आँगन को छोड़ बदरिया,पात-पात पर बरस गयी है।
गरजें घिर-घिर आते वारिद,पूरे जग की प्यास बुझाते,
मेरे मन की रिक्त गगरिया,दो बूँदों को तरस गयी है।।

Urvashi Karanwal ??

Language: Hindi
4 Likes · 3 Comments · 204 Views
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