मुक्तक
जो घोला है तुमने ज़हर हिजाब का ,
नबी के हुक्म आसमानी किताब का ,
चलने ना देंगे फिर नफ़रत की आंधी
दुहाई खुदा की देकर झूठे जबाब का ,,
जो घोला है तुमने ज़हर हिजाब का ,
नबी के हुक्म आसमानी किताब का ,
चलने ना देंगे फिर नफ़रत की आंधी
दुहाई खुदा की देकर झूठे जबाब का ,,