मुक्तक
वतन के नाम कर साँसे जो दुनिया छोड़ के निकलूं,
सफर जब आखिरी हो मै तिरंगा ओढ़ कर निकलूं ,
वतन की आन पर कुर्बान , मेरी जान हो जाये
रिवाज़ो की जंजीरों को यहां से तोड़ के निकलूं,,
वतन के नाम कर साँसे जो दुनिया छोड़ के निकलूं,
सफर जब आखिरी हो मै तिरंगा ओढ़ कर निकलूं ,
वतन की आन पर कुर्बान , मेरी जान हो जाये
रिवाज़ो की जंजीरों को यहां से तोड़ के निकलूं,,