मुक्तक
आस्थाहीन व्यक्ति का जग में, सच मानो कुछ मान नहीं है,
पक्ष, विपक्ष उभय में बैठे, उसकी तो पहिचान नहीं है |
कर्मठ, योग्य, साहसी ही तो, सम्मानित होते हैं जग में,
भिक्षा माँग बड़ा हो कोई, समझो उसे महान नहीं है |
हीरा जड़ा बटन पर लेकिन, नकली चमकीला है,
भारी सी जन्जीर गले में, नकली रंग पीला है |
राजनीति में आज दिख रहे, दल बदलू जो भाई,
निर्विष फन बस सर्प सरीखा, दिखता जहरीला है |