मुक्तक
,
मुक्तक
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क्या भला होगा तुम्हारा यदि जिये खुद केलिए ,
क्या भला होगा तुम्हारा यदि मरे खुद के लिए ,
है अगर जज़वा तो जनहित में गुजारो जिंदगी–
स्वर्ग स्वयं मिल जायेगा यदि जिये सब के लिए !
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उलझना शैतान से मत जीत जाने के लिए,
हर भला पैदा हुआ है, हार जाने के लिए,
आज कल के आदमी से ऐ खुदा बच के निकल,
मांफिए तुझे बेच देंगे , संग्रहालय के लिए !
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