मुक्तक
कल तलक तो खेत थे जो आज बंज़र से हुए
वो फूल से क़िरदार थे जो आज खंजर से हुए
वक़्त जब बिगड़ा तो महसूस ये मुझको हुआ
दिल, दिमाग, आत्मा सब जैसे पत्थर से हुए
कल तलक तो खेत थे जो आज बंज़र से हुए
वो फूल से क़िरदार थे जो आज खंजर से हुए
वक़्त जब बिगड़ा तो महसूस ये मुझको हुआ
दिल, दिमाग, आत्मा सब जैसे पत्थर से हुए