मुक्तक
पुरानी यादों ने तमाम ज़ेहन में काँटे चुभाए हैं,
हज़ारों ग़म दफ़न करके कहीं हम मुस्कुराए हैं,
आपने देखा बस लबों पे सजी मुस्कराहट को
इन आँखों ने आँखों में बहुत से ग़म छुपाए हैं
पुरानी यादों ने तमाम ज़ेहन में काँटे चुभाए हैं,
हज़ारों ग़म दफ़न करके कहीं हम मुस्कुराए हैं,
आपने देखा बस लबों पे सजी मुस्कराहट को
इन आँखों ने आँखों में बहुत से ग़म छुपाए हैं