मुक्तक
नमन तुम्हें शत बार करूँ हे भारत माँ के सच्चे लाल,
चीर निद्रा में तुम्हें सुलाने को चली गई थी शातिर चाल,
सच तो सच है जानते हैं सब लेकिन सच बोलेगा कौन
अहिंसावादी बन बैठे गीदड़ पहन लिए मज़हब की ढाल,,
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नमन तुम्हें शत बार करूँ हे भारत माँ के सच्चे लाल,
चीर निद्रा में तुम्हें सुलाने को चली गई थी शातिर चाल,
सच तो सच है जानते हैं सब लेकिन सच बोलेगा कौन
अहिंसावादी बन बैठे गीदड़ पहन लिए मज़हब की ढाल,,
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