मुक्तक
ज़िंदा हैं जब तलक इज्जत बनी रहे,
बेघर न हों कोई सर पे छत बनी रहे,
शोहरत की चाह में बस ध्यान ये रखें
पुरखों की कमाई हुई दौलत बनी रहे,,
ज़िंदा हैं जब तलक इज्जत बनी रहे,
बेघर न हों कोई सर पे छत बनी रहे,
शोहरत की चाह में बस ध्यान ये रखें
पुरखों की कमाई हुई दौलत बनी रहे,,