मुक्तक
कई दिल के एहसासों को तहज़ीब कुचल देती है,
कुछ ख्वाहिशें ज़ेहन में ही तक़दीर कुचल देती है,
लफ्ज़ हमदर्दियों के शोलों से हैं ऐसे चलन में भी
उनकी रिवायतें खुशियों की तदबीर कुचल देती है,,
कई दिल के एहसासों को तहज़ीब कुचल देती है,
कुछ ख्वाहिशें ज़ेहन में ही तक़दीर कुचल देती है,
लफ्ज़ हमदर्दियों के शोलों से हैं ऐसे चलन में भी
उनकी रिवायतें खुशियों की तदबीर कुचल देती है,,