मुक्तक
कभी हमको मिला करती करारी हार भी तीख़ी
हमेशा हार में ही जीत भी रहती निहित दीखी
वही बस जीतते जग के सभी दु:साध्य द्वन्दों में
जिन्होंने हारकर बाज़ी कलाएँ कुछ नई सीखी।
कभी हमको मिला करती करारी हार भी तीख़ी
हमेशा हार में ही जीत भी रहती निहित दीखी
वही बस जीतते जग के सभी दु:साध्य द्वन्दों में
जिन्होंने हारकर बाज़ी कलाएँ कुछ नई सीखी।