मुक्तक
मैं सोचता था तुम गिर कर संभल जाओगे
दुनिया की भीड़ से बच कर निकल जाओगे
मैं जागता रहा रात भर तुम्हारे इंतज़ार में
यकीन नही होता के तुम यूँ बदल जाओगे
वीर कुमार जैन
24 सितंबर 2021
मैं सोचता था तुम गिर कर संभल जाओगे
दुनिया की भीड़ से बच कर निकल जाओगे
मैं जागता रहा रात भर तुम्हारे इंतज़ार में
यकीन नही होता के तुम यूँ बदल जाओगे
वीर कुमार जैन
24 सितंबर 2021