मुक्तक
चमन में ख़ुद को ख़ारों से बचाना है बहुत मुश्किल,
बिना उलझे गुलों की खुशबू पाना है बहुत मुश्किल,
ना छोड़ी चोर ने चोरी, ना छोड़ा सांप ने डसना,
फ़ितरतों को बदल पाना ””ज्वाला”” है बहुत मुश्किल
चमन में ख़ुद को ख़ारों से बचाना है बहुत मुश्किल,
बिना उलझे गुलों की खुशबू पाना है बहुत मुश्किल,
ना छोड़ी चोर ने चोरी, ना छोड़ा सांप ने डसना,
फ़ितरतों को बदल पाना ””ज्वाला”” है बहुत मुश्किल