मुक्तक
शब्दों का नसीहत में ढलना भी ज़रूरी है,
कड़वा है मगर सच को कहना भी ज़रूरी है ,
औरों के भरोसे ख़्वाब मुक़म्मल नही होते
मंजिल तक पहुंचने को चलना भी ज़रूरी है,,
शब्दों का नसीहत में ढलना भी ज़रूरी है,
कड़वा है मगर सच को कहना भी ज़रूरी है ,
औरों के भरोसे ख़्वाब मुक़म्मल नही होते
मंजिल तक पहुंचने को चलना भी ज़रूरी है,,