मुक्तक
जऱा उलझनों से निकल करके देखे
हैं मुश्किल ये राहें मगर चल के देंखे
औऱों की खातिर जली ज्योति हरदम
खुद के लिए भी तो जल कर के देखे
जऱा उलझनों से निकल करके देखे
हैं मुश्किल ये राहें मगर चल के देंखे
औऱों की खातिर जली ज्योति हरदम
खुद के लिए भी तो जल कर के देखे