मुक्तक
बहुत हम सुन लिए बाबर, अकबर की कहानी को ,
बहुत हम सुन लिए टोपी और दाढ़ी की कुर्बानी को
आखिर कब तलक हम आपसी रंजिश में उलझेंगे
समय की माँग है जगना है हर एक हिन्दुस्तानी को ??????
बहुत हम सुन लिए बाबर, अकबर की कहानी को ,
बहुत हम सुन लिए टोपी और दाढ़ी की कुर्बानी को
आखिर कब तलक हम आपसी रंजिश में उलझेंगे
समय की माँग है जगना है हर एक हिन्दुस्तानी को ??????