मुक्तक
मुक्तक
1.
जब तुम्हें प्रेम की पावनता का , बोध होने लगे
जब तुम्हें प्रेम की सात्विकता का , भान होने लगे
जब तुम्हें अपनी प्रियतमा में , आत्मिक प्रेम होने लगे
तब समझना तुम प्रेम रुपी परमेश्वर की अराधना में , लीन होने लगे हो ||
2.
जब तुम प्रत्येक कर्म को पवन समझने लगो
जब तुम्हारी प्रत्येक कर्म में प्रीति होने लगे
जब प्रत्येक कर्म को , तुम पूजा की तरह पूजने लगो
तब समझना कि तुम पर माँ शारदे की अनुपम कृपा है ||