मुक्तक
१.
जब आगंतुक का सम्मान होने लेगे
जब याचक अन्न पाने लगें
जब धर्म का विस्तार होने लगे
समझो सामाजिकता विकसित होने लगी है
२.
जब हम अभिमान त्यागें
तब हम सम्मान पायें
जब हम क्रोध पर विजय पायें
तब हम परमेश्वर को पायें
3.
जब हमारी आकांक्षायें शांत हो जाएँ
जब हमारी कोमल भावनाएं हो जाएँ
जब हम मानवता के पुजारी हो जाएँ
हम समझें कि परमेश्वर की कृपा के हम धनी हैं