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20 Jun 2021 · 1 min read

मुक्तक

मनाता हूं मगर अब ज़िन्दगी ही रूठ जाती है?

कि हर इक चीज हाथों से हमेशा छूट जाती है?

न जाने क्या लिखा है भाग्य में तू ही बता मौला?

पकड़ता हूं मैं जो डाली वही क्यों टूट जाती है।?
✍️शक्ति त्रिपाठी देव ?

Language: Hindi
1 Like · 419 Views
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