मुक्तक
तुम्हें अब दास्तां अपनी सुनाने मैं न आऊंगा
चले जाओ कहीं दिलवर बुलाने मैं न आऊंगा
सिमट जाऊंगा अपने आप में ये ली शपथ मैंने
दुबारा प्रेम का दीपक जलाने मैं न आऊंगा ।।
शक्ति त्रिपाठी देव
तुम्हें अब दास्तां अपनी सुनाने मैं न आऊंगा
चले जाओ कहीं दिलवर बुलाने मैं न आऊंगा
सिमट जाऊंगा अपने आप में ये ली शपथ मैंने
दुबारा प्रेम का दीपक जलाने मैं न आऊंगा ।।
शक्ति त्रिपाठी देव