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30 May 2021 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

शायरी का एक खुशनुमा दौर हुआ था रोशन , हिन्दुस्तान में

” ग़ालिब ” शायरों की महफ़िल में गुलाब बन महका

लैला – मजनू , हीर – रांझा , सोहनी – महिवाल थे मुहब्बत के निशाँ

” ग़ालिब “मुहब्बत के चाहने वालों की महफ़िल में गुलाब बन महका

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 215 Views
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Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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