मुक्तक
मुक्तक
शायरी का एक खुशनुमा दौर हुआ था रोशन , हिन्दुस्तान में
” ग़ालिब ” शायरों की महफ़िल में गुलाब बन महका
लैला – मजनू , हीर – रांझा , सोहनी – महिवाल थे मुहब्बत के निशाँ
” ग़ालिब “मुहब्बत के चाहने वालों की महफ़िल में गुलाब बन महका
मुक्तक
शायरी का एक खुशनुमा दौर हुआ था रोशन , हिन्दुस्तान में
” ग़ालिब ” शायरों की महफ़िल में गुलाब बन महका
लैला – मजनू , हीर – रांझा , सोहनी – महिवाल थे मुहब्बत के निशाँ
” ग़ालिब “मुहब्बत के चाहने वालों की महफ़िल में गुलाब बन महका