मुक्तक
उसकी नज़र में आज तो काबिल मैं बन गया।
लहरों कि वो रवानी तो साहिल मैं बन गया।
हट जाउँ रास्ते से मैं, इल्ज़ाम ये दिया
कहती है आज मुझको क़ातिल मैं बन गया।
अदम्य
उसकी नज़र में आज तो काबिल मैं बन गया।
लहरों कि वो रवानी तो साहिल मैं बन गया।
हट जाउँ रास्ते से मैं, इल्ज़ाम ये दिया
कहती है आज मुझको क़ातिल मैं बन गया।
अदम्य