मुक्तक
221 2121 1221 212
मेरी वफ़ा का आपने कैसा सिला दिया।
सारे खतों को आपने पल में जला दिया।
खामोश जिंदगी है तुमसे मैं क्या कहूँ
अहसान है तुम्हारा कि ग़म से मिला दिया।
अदम्य
221 2121 1221 212
मेरी वफ़ा का आपने कैसा सिला दिया।
सारे खतों को आपने पल में जला दिया।
खामोश जिंदगी है तुमसे मैं क्या कहूँ
अहसान है तुम्हारा कि ग़म से मिला दिया।
अदम्य