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28 Feb 2017 · 1 min read

मुक्तक

मिलते हो तुम रोज मगर बेगानों की तरह!
जिन्द़गी की राहों में अनजानों की तरह!
किस्तों में मिल जाते हैं ख्वाहिशों के लम्हें,
महफिलों में रोता हूँ नादानों की तरह!

#महादेव_की_कविताऐं’

Language: Hindi
454 Views
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