मुक्तक
सेवा भाव समर्पण ही बस, मानव की पहिचान है,
जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह धनवान है l
यों तो मरते,और जन्मते,जो भी आया यहाँ धरा पर,
करता जो उपकार सदा ही, पाता वह सम्मान है l
सेवा भाव समर्पण ही बस, मानव की पहिचान है,
जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह धनवान है l
यों तो मरते,और जन्मते,जो भी आया यहाँ धरा पर,
करता जो उपकार सदा ही, पाता वह सम्मान है l