मुक्तक
संकल्पों की राह भी
बड़ी बेमानी होती है
अभी किया कि अगले पल छोड़ा
योग का ले आसरा
संकल्प को तू प्राण दे
⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂
माना कि दुःख के राही सब मगर
बाहों का दे सहारा
दूर कर तू पीर सबकी
और अपनी जिन्दगी को राह दे
संकल्पों की राह भी
बड़ी बेमानी होती है
अभी किया कि अगले पल छोड़ा
योग का ले आसरा
संकल्प को तू प्राण दे
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माना कि दुःख के राही सब मगर
बाहों का दे सहारा
दूर कर तू पीर सबकी
और अपनी जिन्दगी को राह दे